मंदिर से आते हुए
देखी छात्रों की रैली
छब्बीस जनवरी है आज...
देखकर छात्रों की देश-भक्ति
भक्ति की लहर उठी
इनके भी मानस में...
चल रहे जो सीना तानकर
एक-सी पोशाकों में सिर ऊँचा कर
उस पल युवा मन में
लगा कि
मैं भी रैली में शामिल हो जाऊँ,
पर दूसरे ही क्षण
कहने लगा मन
आखिर मैं क्यों इनके साथ जाऊँ।
इन्हें है केवल एक देश की भक्ति
मुझमें है असंख्य आत्मप्रदेशों की भक्ति!
अनंत सिद्धों की भक्ति,
जिससे बाह्य में भी होती है
अनेक जीवों की रक्षा,
फिर वह पशु हो या मानव
देव हो या दानव
सभी के प्रति रहती आत्म-भावना,
विश्व का हर जीव रहे सुखी
कोई न रहे किञ्चित् भी दुखी
यही तो कहती जिनवाणी...
इस तरह विचारते
बारी-बारी से
हर छात्र को निहारते
आ गये संत भवन।