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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ज्ञानधारा क्रमांक - 38

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    काल की कोमल पगतलियों की आहट

    सामान्य जन के

    श्रवण-पटलों तक सुनाई पड़ती है कहाँ?

    देखते ही देखते

    विद्याधर हो गये बड़े यहाँ।

     

    शाम ढलते ही ।

    नित्य मंदिर में जा

    मित्रों के साथ

    देर रात्रि तक करते

    प्रथमानुयोग का स्वाध्याय,

    स्वात्म रुचि का

    प्रारंभ हो चुका था अध्याय...

     

    स्व के परिणामों का करते अध्ययन

    जागरूक रहते हर पल

    स्वयं का कार्य करते स्वयं

    शास्त्र-वाचन के समय

    बिछाने लगा माली

    चटाई ले उसके हाथ से

     

    देखा ध्यान से...

    छोटी-छोटी चींटियों से भरी

    सावधानी से रख उसे

    देखकर दूसरी चटाई बिछाई

    प्रेम से समझाकर दी हिदायत उसे

    देखकर करना कार्य आज से…

    सिर हिलाकर माली ने

    हाथ जोड़कर स्वीकारा सम्मान से।

     

    जब द्वार बंद कर रहा माली रात को

    तत्काल याद करता है।

    विद्याधर की बात को

    देखा ज्यों ही द्वार

    छिपकली थी वहाँ

    सोचने लगा माली...

    आज ही मिली शिक्षा

    और हो गई परीक्षा

    अगर न देखता ध्यान से

    तो हो जाती पंचेन्द्रिय जीव की हिंसा।

     

    प्रात: जब सुनी विद्या ने यह बात

    मन ही मन हुए प्रसन्न

    शीश झुका जिनवाणी को किया नमन।


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