गुरु के हृदय-हिमगिरि से
बहती पल-पल करूणा-धारा
इसीलिए तो नगर-नगर में
खुलवा दीं गुरु ने गौ शाला,
पल रहीं लाख से अधिक गैया
बंद हो जिससे गौ-वधशाला,
मालवा, राजस्थान, निमाड़
बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात
हरियाणा, उत्तरप्रदेश में
दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में
लाखों गायों का रक्षण कर
पर की पीड़ा को समझकर
करा दी सजग संत की पहचान
ऐसे ही थे पहले भगवान!
वृक्ष यदि फल से भरा ही चाहिए
नदी का जल मीठा ही चाहिए तो
मनुष्य के हृदय में दया भी अवश्य चाहिए।
धन्यास्ते हृदये येषामुदीर्णाः करुणाम्बुधिः
‘दया मूलो धम्मो'' कहा है।
बिना मूल के फूल कहाँ है?
ईर्ष्यालु किसी को
देख नहीं सकता सुखी
तो दयालु किसी को
देख नहीं सकता दुखी।