कहना है गुरू का कि
जड़ के बिना वृक्ष नहीं
दया के बिना धर्म नहीं,
पशुओं पर करुणा करना
मानव का धर्म है,
दया, प्रेम, अनुकंपा रखना
यह व्यवहारिक धर्म है।
पापों की शुद्धि करने
आचार्यों ने गौदान कहा
फिर गायों की हत्या करना
निश्चित महापाप माना,
पशु-वध से आ रही ।
प्राकृतिक आपदाएँ।
नष्ट हो रहीं नैतिक संपदाएँ,
रक्षक ही भक्षक बना
मालिक ही मारक बना
भंडारी ही लूट रहा खजाना
देख यह देश की दुर्दशा
संत की रो पड़ी आतमा...