कटनी की अस्वस्थ एक बच्ची की कुंडली देख
दिल्ली के ज्योतिष ने बताया
इसकी आयु ज्यादा नहीं
अंतिम समय है आया,
एक दिन माँ उसे ले गई
श्री गुरूवर की शरण,
शास्त्र की चौकी पर बँधी एक राखी
देखते ही माँ के मन में
आस एक जागी,
खोलकर झट गुरु आशीष ले
बाँध दी बेटी के गले में...
पचास वर्ष की पुत्री उसकी
जीवित है आज भी,
ऐसे अलौकिक चमत्कार को
भक्त आत्मा भूल सकती है कभी?
विदिशा के जैन कुल का चिराग
बीमारी थी उसे जान लेवा
जिसका कोई नहीं दुनिया में इलाज
खड़ा भी रह नहीं पाता था वह
गुरू-दर्शन को लाये उसे जब
करूणा उँडेलकर सस्नेह बोले गुरूवर
‘‘नित्य देव-दर्शन करना
रात्रि भोजन कभी नहीं करना,”
श्रद्धा से किया संकल्प
छोटे से नियम से
कुछ ही दिनों में
हो गया कायाकल्प,
बालक बिल्कुल ठीक हो गया
सारा परिवार गुरु-भक्ति में खो गया।
कैंसर से पीड़ित था
नरसिंहपुर का एक श्रावक
श्रद्धा से अभिभूत हो
आया गुरुवर के निकट
गुरू ने उसे ‘रात्रि जल’ का दिया त्याग
उसने हाथ जोड़कर सविनय कहा- महाराज!
“यदि ठीक हो गया मैं
तो आजीवन ब्रह्मचर्य से रहूँगा।''
श्रद्धा से ग्रहीत व्रतों का
कुछ ही दिनों में हुआ ऐसा असर
भयानक रोग भी हो गया छूमंतर।
आठ माह से मूर्छित थी बालिका...
उसे लेकर आये बीना बारहा
देखकर उसे करूणा से
आचार्य श्री के हाथ उठे स्नेह से,
पाते ही आशीर्वाद
टूट गई तत्काल मूर्च्छा
बोल पड़ी ‘नमोस्तु महाराज!’
दो नवम्बर का दिन था वह
सारा परिवार झूमने लगा खुशी से
गुरु-कृपा का प्रत्यक्ष चमत्कार है यह!
जब-जब हुआ भक्त पर उपसर्ग
सँभाला है गुरु ने,
जब- जब भटका है भक्त
पथ दर्शाया है गुरू ने,
प्रभु के तो भक्त ही बन पाते शिष्य नहीं,
किंतु गुरू के भक्त भी बन पाते।
और शिष्य भी।
तभी तो गुरु की महिमा गाते
वेद-पुराण भी,
बिना गुरु के अधोगामी हो गया
बेचारा रावण भी,
इसीलिए तो समूची प्रकृति
गुण गाती है गुरू की...
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