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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • ज्ञानधारा क्रमांक - 135

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    बहते-बहते बोधधारा ने

    देखी अभूतपूर्व घटना

    विहार करते एक समर्पिता ने

     

    देख सूरज को ढलता

    रुक गई वहीं पर,

    एक कक्ष था वह भी खंडहर

    दूर-दूर तक वीरान…

     

    तभी श्रद्धा-चक्षु खोलकर

    हृदय देवता को किया वंदन

    संयम की रक्षा करना गुरु भगवन्!

    ग्यारह बजे का था समय

    शारीरिक बाधा से आना पड़ा बाहर,

    देख दृश्य पहले तो वह चौंक गई

    साथ में दूसरी समर्पिता भी

    आश्चर्य में पड़ गई।

     

    जो दिख रहा है यह सत्य है या सपना...

    धरती से पाँच फीट ऊपर

    श्वेत वस्त्रधारी कौन लगा रहा चक्कर?

    देखते रहे पाँच मिनट तक

    दस चक्कर पूरे कक्ष के लगा लिए तब तक,

    खुली आँखों से देखा यह...

    वापस अंदर आ गई दोनों वह |

     

    शेष साधिकाओं को जगाया

    एक-एक कर सबने देखी वह माया...

    हो गया पूरा विश्वास

    कोई रक्षक है हमारे आस-पास,

    सवेरे चार बजे देखा उठकर

    अंतिम था वह चक्कर

    देखते ही देखते अदृश्य हो गया

    सबके लिए एक प्रश्न छोड़ दिया...

     

    आखिर वह कौन था?

    जो बिल्कुल मौन था!

     

    ज्ञानधारा ने कहा

    कोई और नहीं

    गुरु-शक्ति का चमत्कार था,

    आशीर्वाद से निःसृत

    ऊर्जायित किरणों का आकार था।


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