गुरु को मानने वाला पाता है स्वर्ग
गुरु की मानने वाला पा लेता अपवर्ग
गुरु के पवित्र नाम का जाप
मिटा देता जन्मों का पाप,
ज्ञानधारा ने जान लिया यह
इसीलिए हो रही उतावली उसकी लहरें...
उन सत्य घटनाओं को लिखने...
घटना है दक्षिण विहार की
उसकी साक्षी हैं शिष्याएँ गुरुवर की
मूडबद्री की ओर जा रहा आर्यिका संघ...
अनजाना रास्ता, लम्बा पथ
साथ में कोई नहीं श्रावकगण
तभी आया एक साईकिल सवार
बह रही जिसके सिर से रक्तधार…
बोला वह
मत जाइये इस रास्ते से
पत्थर का ढेर लगाकर
बैठा है एक पागल आगे जाकर,
आते-जाते पथिकों को
कर रहा लहूलुहान वह
आर्यिकाएँ पड़ गईं असमंजस में तब...
शाम ढल रही थी...
जंगल में रूकने की कोई जगह नहीं थी।
सोचा तब मन ही मन
गुरूवर की छत्रछाया है सदैव साथ
फिर डर की क्या बात?
स्मरण किया गुरुवर का
सुरक्षित रहे संयम-संपदा
यह जीवन दिया हुआ है आपका
ध्यान रखना इस भक्त का
यूँ गुरुवर के हाथों सब सौंपकर
गुरू नाम का एक साथ जाप कर…
ज्यों ही आये वहाँ
त्यों ही श्रीफल से भरा वाहन आया
तीन-चार फल फेंके उसने
पागल उसे खाने में लग गया
सभी ने पथ निर्बाध पार कर लिया...
गुरु नाम से साक्षात्
चमत्कार हो गया।
सुरगुरू भी महिमा गा न सके गुरू की
मैं ज्ञान की एक लहर
गाऊँ कैसे महिमा उनकी?
यूँ सोच रही ज्ञानधारा…