२८-०२-२०१६
भूगड़ा (बासवाड़ा राजः)
ज्ञानकल्याणक महोत्सव
ज्ञानालोक प्रभा के प्रभाकर गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चरणों में नित्य नमोस्तु-नमोस्तु-नमोस्तु...
हे गुरुवर! जब ब्रह्मचारी विद्याधर जी ने प्रथम केशलोंच किया था, तब आपने जो बात कही थी, वह बात आज तक मेधावी मेरे गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज को याद है। उन्होंने ०६-०४-१९९८ बीना बारह अतिशय तीर्थक्षेत्र पर मूलाचार की कक्षा में प्रसंगवश सुनाई। जो मुनि श्री निर्वेगसागर जी महाराज ने मुझ तक पहुँचाई, वह आपको बता रहा हूँ-
मोक्षमार्ग की दृढ़ता
"ब्रह्मचारी विद्याधर, ज्ञानसागर जी गुरु महाराज के सामने किशनगढ़ में प्रथम केशलोंच खटखट (जल्दी-जल्दी) कर रहे थे। तो खून निकलने लगा। वहीं पास में क्षुल्लक आदिसागर जी बैठे थे। उन्होंने गुरुवर ज्ञानसागर जी से कहा-ब्रह्मचारी जी के सिर से खून निकल रहा है, तो ज्ञानसागर जी महाराज ने शान्त रहने के लिए इशारा किया। क्षुल्लक जी ब्रह्मचारी विद्याधर जी से बोले कैंची ले आयें क्या? तब विद्याधर जी ने इशारे से मना किया। यह सब ज्ञानसागर जी महाराज देख सुन रहे थे, तब उन्होंने क्षुल्लक जी से कहा- ‘मोक्षमार्ग में ऐसी दृढ़ता होनी चाहिए। इस तरह आपके शिष्य अनुत्तर योगी आचार्यश्री विद्यासागर जी वीतरागमयं दृढ़ता से मोक्षमार्ग पर अप्रमत्त बढ़ रहे हैं और अनेकों भव्य मुमुक्षुओं को मोक्षमार्ग पर बढ़ा रहे हैं। उन भव्य मुमुक्षुओं के चरणों में नमोस्तु करता हुआ...
आपका
शिष्यानुशिष्य