०२-०२-२०१६
वेदी प्रतिष्ठा
बेगूं (चित्तौड़गढ़-राज)
सादा जीवन उच्च विचार के धारक गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के चरणों में प्रतिपल नमोस्तु-नमोस्तु-नमोस्तु…
हे सहज सरल गुरुवर! विद्याधर बचपन से ही सादगी पसंद करता था। इस सम्बन्ध में ब्रह्मचारिणी कनक जी (दिल्ली) ज्ञानोदय तीर्थक्षेत्र, अजमेर ने बताया-
सादगी पसंद विद्याधर
‘‘पूज्य मल्लिसागर जी महाराज(विद्याधर के गृहस्थ अवस्था के पिताजी) ने दिल्ली चातुर्मास में एक दिन ऐसा बताया कि विद्याधर जब युवा हो गया था तब अपनी माँ के लिए बाजार से सादे छापेदार हल्के रंग की साड़ी खरीद के लाया। माँ को दी तो श्रीमती देखकर बोली-यह क्या लाया? तो विद्याधर बोला—'अक्का सादे, कम छापेदार, हल्के रंग के कपड़े पहनना चाहिए।’ उसकी माँ उसे बहुत प्रेम करती थी इसलिए तब से ही श्रीमन्ती ने गहरे रंग के कपड़े नहीं पहने थे।'' इस प्रकार विद्याधर की क्रियाकलाप एवं बातों से माता-पिता, बड़े भाई छोटे भाई-बहिन सभी बड़े प्रभावित हुए और अपना जीवन बदला और आज उनके गुणगान करते हैं। विद्याधर ने अपने आचार-विचारों से सभी को अपने रंग में रंग लिया था। मैं भी गुरु के रंग में रंग जाऊँ इस भावना के साथ नमोस्तु....
आपका
शिष्यानुशिष्य