२८-१२-२०१५
गुणोदय तीर्थ क्षेत्र
गुलगाँव (केकड़ी-राजः)
दिव्यध्वनि के उपासक, सम्यग्ज्ञान के विचारों से शोभायमान गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के पुनीत चरणों में नमोस्तु-नमोस्तु-नमोस्तु...हे ऋषिराज ! आज मैं आपको विद्याधर की दिनचर्या के बारे में बताता हूँ। इस सम्बन्ध में भाई महावीर जी ने बताया-
होनहार विद्याधर की समयबद्ध दिनचर्या
‘‘मैं, विद्याधर एवं छोटे भाई-बहिन सभी एक बड़े कक्ष में सोते थे। जो चौथी, पाँचवीं कक्षा में आ जाता था वह अलग कक्ष में सोता था विद्याधर १० वर्ष की उम्र तक तो १० बजे तक सो जाता था और सुबह ५ बजे उठ जाता था। १३ वर्ष की उम्र से मित्र मारुति के साथ देर रात तक धर्म की चर्चा, कथा कहानी की चर्चा करता रहता था और ध्यान स्वाध्याय अधिक देर तक करता रहता था। दिन में कभी भी सोता नहीं था। समय भी नहीं मिला करता था। सुबह ७-११ बजे तक विद्यालय होता था। फिर आकर बावड़ी में स्नान करने जाता था। फिर भोजन करके भैसों को नहलाने ले जाता था। वहाँ से आकर पढ़ाई से सम्बन्धित गृहकार्य करता था और फिर २ बजे पुनः विद्यालय जाता था। वहाँ से ५ बजे घर लौटता था फिर भोजन करके मंदिर जाता था। इसलिए दिन में सोने का समय नहीं मिलता था।” इस प्रकार विद्याधर की दैनिक जीवन चर्या इतनी व्यवस्थित थी कि उससे समय का प्रबन्धन करना सीखा जा सकता है...
आपका
शिष्यानुशिष्य