Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पत्र क्रमांक - ४६ गुणानुरागी विद्याधर

       (0 reviews)

    १२-०२-२०१६

    ध्यान डूंगरी, भिण्डर (उदयपुर-राजः)

     

    जातरूप नग्न, अनावरित प्रकृति सम प्राकृतिक पुरुष गुरुवर श्री ज्ञानसागर जी महाराज के सहज स्वरूप को नमोस्तु-नमोस्तु-नमोस्तु...

    हे गुरुवर! आज मैं विद्याधर का गुणानुराग के सम्बन्ध में बताने जा रहा हूँ। जैसा कि विद्याधर के अग्रज भाई ने बताया

     

    गुणानुरागी विद्याधर

    ‘‘एक बार की बात है सदलगा के पास में निप्पाणी शहर है, वहाँ चलने के लिए विद्याधर ने मुझसे कहा-तब मैंने पूछा क्यों जाना? तो बोला- ‘वहाँ पर आचार्य विनोबा भावे जी भाषण देने के लिए आ रहे हैं। मुझको उनके भाषण सुनना है। वो देश के लिए और देश के गरीबों के लिए बहुत अच्छा काम करते हैं। अच्छा भाषण देते हैं। इसलिए हमको उनका भाषण सुनना चाहिए।' तब हम दोनों पिताजी के पास गए और बोले हम लोगों को विनोबा भावे जी का भाषण सुनना है। तब पिताजी ने समझाते हुए ऊँचे स्वर में कहा-वह भू-दान के लिए भाषण देने आ रहे हैं। अपने पास अभी ज्यादा भूमि नहीं है, दान क्या दोगे? जाओ अभी स्कूल जाओ। यह सुनकर विद्याधर नाराज हो गया, उसे विनोबा भावे के भाषण सुनने की याद आ रही थी। तब मेरे पास पाँच रुपये थे मैंने उसे दे दिए और कहा तू मित्रों के साथ चला जा। तो वह मित्रों के पास गया मित्रों ने कहा एक शर्त पर चलेंगे। हम विनोबा जी का भाषण नहीं सुनेंगे। हम जैमिनी सर्कश देखेंगे, तुमको भाषण सुनना है तो सुन लेना। विद्याधर तैयार हो गया और चला गया। वहाँ से वापस आकर मुझे सब कुछ बताया। पूरा भाषण सुनाया और सुनाते समय उनकी बातों का समर्थन करते जा रहा था- ‘विनोबा जी गरीबों के लिए कितना अच्छा कार्य कर रहे हैं, देश का हित होगा और गरीबों को अभयदान मिलेगा।" इस तरह विद्याधर महापुरुषों और प्रसिद्ध नेताओं के भाषण सुनने सदलगा से बाहर जाया करता था। एक बार मेरे साथ पण्डित जवाहरलाल नेहरु का भाषण सुनने गया था। इस तरह विद्याधर बचपन से ही महापुरुषों की आदर्शता को अपने अंदर सहेजता जा रहा था। आज वो स्वयं लोकादर्श बन गए हैं। ऐसे आदर्श महापुरुषों के आदर्शों को सदैव नमन करता हुआ...

     

    Antaryatri mahapurush pdf01_Page_112.jpg

    आपका

    शिष्यानुशिष्य


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...