Jump to content
नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
अंतरराष्ट्रीय मूकमाटी प्रश्न प्रतियोगिता 1 से 5 जून 2024 ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • पत्र क्रमांक - 163 सन् १९७२ ने गुरु-शिष्य के नापे कदम

       (0 reviews)

    Vidyasagar.Guru

    पत्र क्रमांक-१६३

    २४-०३-२०१८ ज्ञानोदय तीर्थ, नारेली, अजमेर

     

    इतिहास पुरुष परमपूज्य दादागुरु आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज के ऐतिहासिक चरणाचरण को प्रणाम करता हूँ... हे गुरुवर ! सन् १९७२ को प्रात:काल यूँ लगा कि जैसे समय से पूर्व सूर्य भागकर क्षितिज पर आ गया हो यह सोचकर कि कहीं आप जैसे ऐतिहासिक गुरु-शिष्य के किसी स्वर्णिम पल को देखने से चूक न जाऊँ। हर रोज दिनकर दिनभर आपको देखता किन्तु अस्तांचल में जाने की मजबूरी के कारण खेदखिन्न होता हुआ लाल-लाल हो जाता। सरपट भागकर प्रातः आता तो खुशी में लाल हो जाता किन्तु तब उसके साथी चन्द्र-ग्रह-राशियाँ तो कभी नक्षत्र-तारे उसकी पीड़ा को समझकर उसे सहयोग करते और सुबह उसे सब कुछ बता देते जो उन्होंने रात में आप गुरु-शिष्य को देखा है।

     

    इस तरह १९७२ की किताब में जो कुछ पढ़ने को मिला वह मैं क्रमशः आपको लिख रहा हूँ-

    306.jpg307.jpg

     

    इस प्रकार १९७२ वर्ष ने आपके लगभग ६६९१२ कदमों की यात्रा को देखा है। इसी का वर्णन हम आगे आपको भेज रहे हैं। नमन निवेदित करता हुआ...

    आपका शिष्यानुशिष्य

     

    308.jpg


    User Feedback

    Create an account or sign in to leave a review

    You need to be a member in order to leave a review

    Create an account

    Sign up for a new account in our community. It's easy!

    Register a new account

    Sign in

    Already have an account? Sign in here.

    Sign In Now

    There are no reviews to display.


×
×
  • Create New...