पत्र क्रमांक-१४२
२६-०२-२०१८ ज्ञानोदय तीर्थ, नारेली, अजमेर
चित्चमत्कार चैतन्य स्वरूप साम्यभाव के आराधक दादा गुरुवर के चरणों में त्रिकाल भावविशुद्धि पूर्वक नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु...हे गुरुवर! रेनवाल में प्रतिदिन तो प्रवचन गंगा बहती रही किन्तु प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी आपके सान्निध्य में विशेष आयोजन के मिस प्रवचनामृत की विशेष वर्षा हुई। इस सम्बन्ध में जैन गजट १०-०९-१९७० में गुलाबचंद गंगवाल का समाचार प्रकाशित हुआ-
स्मृति दिवस
‘‘किशनगढ़ (रेनवाल)-परमपूज्य चारित्र चक्रवर्ती श्री १०८ आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज का १५ वां समाधि दिवस मिति भाद्रपद शुक्ला २ बुधवार २-९-७० को पूज्य आचार्य श्री १०८ श्री ज्ञानसागर जी महाराज के सान्निध्य में उत्साह के साथ मनाया गया। प्रातः स्वर्गीय आचार्यश्री के फोटो का जुलूस निकाला गया। दोपहर में पूजन व सभा का आयोजन किया गया। पर्युषण पर्व में रोजाना पूज्य आचार्य महाराज का तत्त्वार्थसूत्र पर व मुनि श्री १०८ विद्यासागर जी का दशलक्षण धर्म पर प्रवचन बहुत ही मार्मिक व विद्वत्तापूर्ण होता है। तीन लोक मण्डल विधान का आयोजन होने से महती धर्म प्रभावना हो रही है।" इस तरह रेनवाल के लोगों के सातिशय पुण्य के उदय से उन्हें दशलक्षण पर्व में विशेष धर्माराधना का सुअवसर मिला एवं विधान में पुण्यार्जन करने का। ऐसे गुरु-शिष्य के पावन सान्निध्य को प्रणाम करता हूँ...
आपका
शिष्यानुशिष्य