वंदना विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- द्रव्य वंदना के साथ मन, वचन एवं काय की प्रवृत्ति जुड़ी रहती है, भाव वंदना में कोई क्रिया नहीं होती। भाव वंदना शुद्धभाव के साथ शांत बैठकर की जाती है। सामायिक के समय शुद्ध स्तवन, वंदना का अवसर मिलता है।