संकल्प-विकल्प विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- आप अपने आप को संकल्प-विकल्पों से जितना बचाये रखोगे उतनी ही शांति मिलेगी।
- विकल्प रूपी पेट्रोल समाप्त हो जाता है तो रागद्वेष की गाड़ी चलना बंद हो जाती है।
- जो निश्चित है उस पर विश्वास न होने से संकल्प-विकल्प रूप मानसिक दु:ख होता है।
- निश्चित को मानने से जीवन में संतोष आ जाता है, जैसे मृत्यु निश्चित है तो सोचता है ज्यादा क्या करना इतने में ही जीवन चल जाएगा, संतोष प्राप्त कर लेता है।
- संकल्प-विकल्प पर द्रव्य को लेकर ही हुआ करते हैं।
- संकल्प-विकल्प संसार के ही कारण हैं, इनसे कर्म बंध होता है और कर्म बंध से संसार बढ़ता है।
- सभी विकल्पों का कारण शरीर ही है।
- संकल्प-विकल्प रूपी जाल संसारी प्राणी बुनता रहता है, परिणाम स्वरूप कभी खट्टा और कभी मीठा फल भोगते हुये संसार में भटकता रहता है।
- निज शुद्धात्मा ही मुक्ति का कारण है, इसके लिए संसार के सारे संकल्प-विकल्प छोड़नें पड़ते हैं, आज छोडो या कल या कभी भी सारे विकल्पों को छोड़े बिना मुक्ति संभव नहीं है।