परिहार विशुद्धि संयम विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- जो जन्म से ३० वर्ष तक की अवस्था को सुख पूर्वक व्यतीत करके वर्ष पृथक्त्व (३ से ९ वर्ष) पर्यन्त तीर्थंकर भगवान् के पादमूल में प्रत्याख्यान को पढ़कर तीनों संध्याकालों को छोड़कर प्रतिदिन दो कोश गमन करते हैं ऐसे मुनिराज को परिहार विशुद्धि संयम होता है।