दण्ड विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार व्यवहार में शरीर को दण्डित किया जाता है और निश्चय में भावों को दण्डित किया जाता है। धन का, समय का अपव्यय करना सबसे बड़ा दण्ड माना जाता है।