विद्यार्थियों के लिए विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- पढ़ने की उम्र तक सभी दुर्व्यसन से उन्हें दूर रहना चाहिए। इससे उनके संस्कार दृढ़ होते हैं।
- वह विद्यार्थी ही देश का भावी योग्य नागरिक बन सकता है, जो जल्दी सोता व जल्दी उठता है।
- जल्दी सोने व उठने से ज्ञान बढ़ता है। अत: सभी विद्यार्थियों को इसका पालन करना चाहिए।
- ऐसे होटलों में नहीं जाना चाहिए, जो मांसाहारी हैं।
- पहले तो स्वयं ही होटल आदि में जाने का त्याग करना चाहिए। यदि ऐसा न कर सकें तो शाकाहारी होटल में जा सकते हैं।
- खाने पीने का नियम लेना चाहिए। इस नियम से आप समय पर खावेंगे, पीवेंगे। तो स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। अप टू डेट रहेंगे आप और माइण्ड भी सही कार्य करेगा।
- रात्रि में न खाने का भी धीरे-धीरे अभ्यास करना चाहिए।
- पानी छानने के लिए एक छनना पास में रखें कहीं भी जावें तो कपड़ा से छानकर पानी पियें।
- आज विद्या की तरक्की हो रही है इस विद्या को ग्रहण करके विद्यार्थी तीनलोक का दास बनता जा रहा है।
- विद्या ऐसी ग्रहण करनी चाहिए कि जिससे तीनों लोक उसके दास बन जाये।
- आज सब अर्थ धन के पीछे विद्या ग्रहण करते हैं। इस विद्या से ज्ञान मिल सकता है परन्तु शांति नहीं मिल सकती।
- समीचीन विद्या के द्वारा ही गुणों की प्राप्ति हो सकती है।
- हमने विद्या को अर्थ का माध्यम बना रखा है इसलिए हम दु:खी हो रहे हैं व्यक्ति सुखी तभी हो सकता है जब वह समीचीन विद्या ग्रहण करें।
- विद्यार्थी खूब परीषह और उपसर्ग सहन करने में तैयार हो जाये तो वह तीनलोक को मात कर सकता है उसका स्वामी बन सकता है मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।
- जिस शिक्षण के द्वारा जीवन में सुख शांति नहीं, वह शिक्षण किस काम का।