वैराग्य विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- जिसके पास तीव्र वैराग्य होता है वो इन तीन प्रत्ययों से दूर रहता है वो कौन से प्रत्यय है? कतृत्व, भोकृत्व और स्वामित्व। वो सोचता है कि मैं अज्ञानियों का कर्तृत्व, भोकृत्व और स्वामी नहीं बनना चाहता हूँ।
- वैराग्य के लिए यदि मजबूरी कहोगे तो छह खण्ड की मजदूरी करना पड़ेगी, क्योंकि यदि आप कहोगे बाहुबली को वैराग्य होने की मजबूरी थी क्योंकि भरत को हराया था अब क्या मैं षट्खण्ड का अधिपति बनूँगा नहीं, उन्होंने उन सब छह खण्डों को सारभूत नहीं माना इसलिए ये उनकी मजबूरी नहीं थी।
- यदि कोई तर्क वाला कहता है कि बाहुबली की मजबूरी थी इसलिए दीक्षा ली। यदि उनकी मजबूरी थी तो भरत भी मजदूर के समान बन गये छह खण्डों के।