उपसर्ग विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- भेद विज्ञान के माध्यम से ही परीषहों पर विजय प्राप्त की जा सकती है इसलिए हमें भेद विज्ञान हमेशा हमेशा बना रहना चाहिए।
- उपसर्ग जिस समय आता है उस समय हमें दीन-हीन नहीं होना चाहिए। और रोना आदि नहीं चाहिए। साहस एवं धैर्य का परिचय देना चाहिए।
- शक्ति होते हुए प्रतिकार नहीं करना यह वीरता का प्रतीक है।
- उपसर्ग आदि कभी भी निमंत्रण देकर नहीं आते हैं, कभी भी आ सकते हैं इसलिए हमें सैनिकों की तरह सजग रहना चाहिए।
- उपसर्ग सहन करने के लिए हमें पत्थर के समान नहीं हीरे के समान कठोर बनना चाहिए। यदि वज्र भी गिर जाये तो उसका कुछ नहीं होता है।