श्रुतज्ञान विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- श्रुतपंचमी पर्व बहुत गर्मी में आता है लेकिन यह कूलर में रहने वालों के लिए नहीं जो कूलर और हीटर से ऊपर उठ जाता है, उसे श्रुतज्ञान होता है।
- जो अपने प्रयोजन को समझ लेता है वही तो श्रुतज्ञान है।
- पूरे भारतवर्ष से हिंसा का अभाव हो जाये, अहिंसा का वातावरण बन जाये बस वही श्रुतज्ञान है।
- जिसने पंचेन्द्रियों को वश में किया है उसे श्रुतज्ञान होता है।
- अपने आप पर नियंत्रण रखते ही ऋद्धि सिद्धि के माध्यम से अपने आप ऊपर उठ जाता है।
- प्रयोग नहीं करने के कारण हम धरती पर ही परिक्रमा करते रहते हैं धरती के आकर्षण के कारण ।
- जिस किसी के लिए श्रुताराधना नहीं करानी चाहिए। उसकी पात्रता का भी अवश्य ध्यान रखें।
- यह व्यवसाय का साधन नहीं है, यह स्वाध्याय का साधन है।
- जिस प्रकार भारतीय संविधान की रक्षा की जाती है उसी के माध्यम से सारा देश चलने वाला होता है उसी प्रकार से हम आत्मतत्व को प्राप्त करने जा रहे हैं मोक्षमार्ग पर प्रवृत्त हो रहे हैं तो श्रुतदेवता के बारे में सोची, उसका सविनय बहुमान होना चाहिए।