निमित्त विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- सीता, अंजना, चंदनबाला, अनंगसरा आदि सतियों को देखो इन्होंने असंयमी होकर भी निमित्त को दोष नहीं दिया।
- सीता को देखो उसने राम तो क्या रावण तक को दोष नहीं दिया। मेरा रूप ही दोषी है।
- हमारे दु:ख कोई दु:ख नहीं उन सतियों के दु:ख को देखो। असंयमी होते हुए भी उन पर दु:ख के पहाड़ टूट गये पर निमित्त को दोष नहीं दिया उन्होंने।
- निमित्त को दोष नहीं देना। एक ये ही साधना सही साधना है।
- जो उलझे हुए होते हैं, मैं उन्हें ये हाइकू दे देता हूँ- ‘राम, रावण, सीता क्या थे क्या होंगे,रामायण है।'
- कुन्दकुन्दाचार्य की गाथाओं को कब काम में लोगे? काम में लेंगे तो वो भी कृतार्थ होंगे कि मेरा शिष्य उन्हें काम में ले रहा है।