भाव विषय पर संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर जी के विचार
- योग्यता को बढ़ाने के लिए भाव प्रधान होना चाहिए।
- देश की रक्षा, उन्नति, समृद्धि चाहते हो, देश की आदर्श बनाना चाहते हो तो आदर्श भाव का संग्रह आवश्यक है।
- धन सफेद होता है लेकिन आप लोगों ने धन को भी काला बना दिया। भाव काले होते हैं तो धन को भी आरोपित किया जाता है कि काला धन है।
- गुरुजी (आचार्य ज्ञानसागर महाराज) ने कहा था-एक भाव रखो इससे दूर-दूर से ग्राहक आते हैं। विज्ञापन मत दो।
- विज्ञापन में करोड़ों खर्च क्यों करते हो एक भाव रक्खोगे तो ग्राहक आते रहेंगे चारों तरफ से।
- एक भाव रखों तो दिन अच्छे आयेंगे यदि एक भाव रखना कठिन है तो अच्छे दिन कहाँ से आयेंगे।
- सामने वाले के परिणाम भी खराब न हों, अपने भी न हों और काम हो जाये ऐसा ही कार्य करते जाओ।
- यह व्रत, संयम, त्यागमय जीवन सौभाग्य से मिला है, इस प्रकार सोचते हुए प्रतिक्षण आह्वाद का भाव आना चाहिए।