fगुरुवर आचार्य श्री को नमन। गुरुवर ने इसमें हमको बताया है कि सर्वप्रथम हमारा लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। तब ही हमारे द्वारा उठाये गए कदम का प्रारंभ सही होगा। इसलिए सर्व प्रथम हमारे जीवन का प्रथम लक्ष्य अरिहंत पद धारण का होना चाहिए। तभी विनीत पूर्वक दस धर्म मे हमारी प्रवर्ति प्रारम्भ होगी। उसके बाद ही विषमताओ से हटकर सम भाव रुचिकर लगेगा।
अब मैं मम मन्दिर में रहूँगा
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In भक्ति गीत
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fगुरुवर आचार्य श्री को नमन। गुरुवर ने इसमें हमको बताया है कि सर्वप्रथम हमारा लक्ष्य निर्धारित होना चाहिए। तब ही हमारे द्वारा उठाये गए कदम का प्रारंभ सही होगा। इसलिए सर्व प्रथम हमारे जीवन का प्रथम लक्ष्य अरिहंत पद धारण का होना चाहिए। तभी विनीत पूर्वक दस धर्म मे हमारी प्रवर्ति प्रारम्भ होगी। उसके बाद ही विषमताओ से हटकर सम भाव रुचिकर लगेगा।