Samprada Jain
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Image Comments posted by Samprada Jain
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*** मोहनीय कर्म उदासीन है ।
=> कर्म पुद्गल-परमाणुओं से बनते है जो अचेतन होते है सो उदासीन भी।
~~~ णमो आइरियाणं।
~~~ जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा!
~~~ जय भारत!
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=> क्रोध करना ही है तो क्रोध अपनी कषायों पर करो!
~~~ णमो आइरियाणं।
~~~ जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा!
~~~ जय भारत!
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स्व-हिंसा से बचे बिना अहिंसा का पालन संभव नहीं।
कषाय = स्व-हिंसा।
नमोस्तु आचार्य महाराज जी।
जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा!
जय भारत!
कषाय (53).jpg
In आचार्यश्री विद्यासागर जी की सूक्तियाँ (quotes)
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*** लक्ष्य/मंजिल/प्राप्तव्य = वीतरागता!
~~~ णमो आइरियाणं।
~~~ जय जिनेंद्र, उत्तम क्षमा!
~~~ जय भारत!