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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

jagrti jain

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  1. गुरुदेव के चरणों में नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु सबसे पहली बार आचार्य श्री के दर्शन बीना बारह मे 2015 मे दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। अंतिम दर्शन का सौभाग्य अप्रैल 2023 में अमरकंटक से विहार हो रहा था तब प्राप्त हुआ, तब आचार्य श्री के चरणों का प्रक्षाल भी अपने माथे पर लगाने का सौभाग्य मिला था। सबसे amazing, सबसे सौभाग्यशाली पल था 2021 मे जबलपुर चातुर्मास के दोरान जब हम आचार्य श्री के समक्ष शास्त्र दान का सौभाग्य प्राप्त हुआ, अर्पण करते समय नमोस्तु करते हुए जब नजरें उठाई तो आचार्य श्री की दृष्टि को अपने ऊपर पाया, नज़रे मिलाने की हिम्मत नही थी तो नीची नजर किए नमोस्तु मुद्रा में पीछे पीछे होने लगी, फिर नज़रे उठाई तो देखा अभी भी आचार्य श्री की दृष्टि मुझ पर ही है, वो पल हृदय में कैद हो गया है, ऐसा लगा जीवन सफल हो गया, धन्य हो गया आचार्य श्री के दृष्टिपात का वो अनुभव शब्दों में नहीं कहा जा सकता। उसके बाद आचार्य श्री की पूजन हुई, प्रवचन हुए, मेरी अश्रु की धारा रुक ही नहीं रही थी, ऐसा लगा आचार्य श्री ने मानो मन के सभी मनोभाव पढ लिए हो, और प्रवचन में उन्ही का समाधान कर रहे हों। मैं daily अचार्य श्री की जाप लगती हूं कभी कभी ऐसा लगता है जैसे वो हमें guide कर रहे हैं। मेरा तो जीवन सफल हो गया है, मुझे पूरा विश्वास है आचार्य श्री कहीं भी होंगे वहां से भी हमको आशीर्वाद आता रहेगा, हमारी डोर जो उनसे बंधी है, आगे आने वाले जन्मों में उनके द्वारा दिखाए गए पथ पर चल कर परंपरा से हम भी मुक्ति प्राप्त करेंगे। लेकिन आचार्य श्री को आहार दान देने का सौभाग्य से हम वंचित रह गए । वो स्वयं मोक्ष पथ पर चले जा रहें हैं और भव्यो को भी साथ ले जा रहे हैं, जो सदाचार संयम का मेरू शिखर, जिनके चरणों में देवों की होती बसर वो गुरु मेरा विद्या का सागर महान, उनके चरणों में झुकता है सारा जहां उनके चरणों में हम भी चढ़े जा रहे, वो स्वयं मोक्ष पथ पर चले जा रहे (मुनि श्री प्रणम्य सागर जी द्वारा रचित लाइंस) गुरुदेव के चरणों में समर्पित, बारंबार नमोस्तु नमोस्तु नमोस्तु।
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