परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी की तप, साधना, ज्ञान तथा ध्यान को देखकर ऐसा लगता है कि तीर्थंकर भगवान इनसे अधिक क्या होते होंगे।
परम पूज्य आचार्यश्री विद्यासागरजी की तप, साधना, ज्ञान तथा ध्यान को देखकर ऐसा लगता है कि तीर्थंकर भगवान इनसे अधिक क्या होते होंगे।
आचार्यश्री के गुणों की चर्चा करना सूरज की रौशनी दिखाना है। कुछ हद तक निर्ग्रन्थ मुनिराज आचार्यश्री के व्यक्तित्व का वर्णन कर सकते हैं सामान्य श्रावकों के लिए यह असंभव सा कार्य है।
नमोस्तु आचार्यश्री