बहुत लंबे टाइम से मन था गुरुवर के दर्शन करने का लेकिन पुण्य कम पड़ रहा था। कुंडलपुर में बड़े बाबा के दर्शन हुए तो उनसे भी यही मांगा की मेरे छोटे बाबा के दर्शन हो जाए। 3फरवरी के दिन मन bhaut बेचैन हो गया और मैने घर पर भी बोल दिया जो भी हो मैं जाऊंगी दर्शन करने। 17 फरवरी के टिकेट बुक हो गई। अगर एक दिन भी पहले या बाद की टिकट बुक होती तो दर्शन नहीं मिलते। लेकिन बड़े बाबा और छोटे बाबा ने अंतिम दर्शन के लिए बुला लिया मुझे। 1.5साल के बेटे के भी दर्शन करा दिए। जब वो बड़ा होगा उसको इस सदी के महान आचार्य की कहानी बताऊंगी और ये भी बताऊंगी की कितना भाग्यशाली है वो जो उसने महाराज जी के दर्शन किए।