ॐ श्री विद्या सागर गुरुवराय नमः
विश्व तिलक राष्ट्र संत शिरोमणि महामना परम पूज्य आचार्य भगवन श्री 108 विद्यासागर जी महामुनिराज के पावन चरणों में कोटि कोटि वंदन
मैंने हाल ही में 31अगस्त से 3 सितंबर 2023 को महाराज श्री के डोंगरगढ़ में दर्शन कर अपना जीवन धन्य किया है। ये यात्रा मेरे जीवन की सबसे अनमोल और अविस्मरणीय यात्रा है। आचार्य श्री का सुदर्शन व्यक्तित्व, गहन चिंतन, गंभीर ज्ञान, मधुर स्मित, निस्पृह सहज सरल वृत्ति व ओजपूर्ण तेजमय दृष्टि मानों सभी पर एक जादुई असर कर रही थी। तपस्या की ऐसी जीवंत मूर्ति को बस बरबस एकटक निहारते रहने का ही मन करता रहता था। उनकी सौम्य दृष्टि और दिव्य मुस्कान प्रेरित करने वाली थी। उनका आशीर्वाद आनंद से भर देने वाला था, जो हमारे अंतर्मन के साथ-साथ पूरे वातावरण में उनकी दिव्य उपस्थिति का अहसास करा रहा था। उनके भीतर की वीतराग छवि का अनुभव कर मैने तो अपना ये जीवन धन्य कर लिया। और आगे भी जीवन पर्यंत आचार्य श्री के इसी रूप को महसूस करके पुण्य लाभ लेती रहूंगी।
आचार्य श्री आप मेरे हृदय और मन-मस्तिष्क में सदैव जीवंत रहेंगे। आपके प्रवचन और संदेश मुझे सदैव ही प्रेरित और आलोकित करते रहेंगे।
मुझे तो ऐसा लग रहा हैं, मानो आचार्य श्री कह रहे है कि....
मैं
अब यहां नहीं... वहां नहीं...
सब जगह ... सर्वत्र हो गया हूं ...
आंखों से दूर सही, नजरों से दूर नही गया हूं .. !!
महसूस तो करो ... अपने पास ही पाओगे !
पहले सीमित था अब असीमित हो गया हूं ...
पहले विधा, अब सागर सा विस्तृत हो गया हूं ...
सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन और सम्यक चरित्र की त्रिवेणी आचार्य विद्यासागर हमेशा जीवन पर्यंत धर्म मार्ग पर चलते रहने का आशीर्वाद देते ही रहेंगे। और मेरे अंतर्मन में सदैव अलौकिक आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता ही रहेगा।
मेरे गुरू विद्यासागर, चैतन्य महासागर हैं।
🙏🙏🙏
दीपाली मनीष जैन, सूरत
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