🙏किसी महान व्यक्तित्व के
कुल, जाति, वंश मे आना
भी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी हैं।
वंश भी भी ऐसा जो आंदि से अनंत हैं
जो मोक्ष मार्ग का प्रदर्शक है
हम सभी आदिनाथ से महावीर तक
24 भगवान कि संतान हैं
कुंदकुंद से विद्यासागर
और
भी अनंतानंत महान गुरु हमारे,
जिन्होंने हर युग मे आ कर सही मार्गदर्शन दिया।
जन जन को मोक्ष मार्ग के लिए प्रशक्त किया।
हमारे पुण्य का उदय था
जो हम इस युग मे भी विद्यागुरु को पाया...
हमारे गुरु तो युग गौरव थे, हैं और सदैव रहेंगे।
हमारे गुरु ने तो सारे विश्व मे
जिन कुल,जिन समाज, जैन समुदाय
का डंका बजा दिया।
उन्हें देख कर, उनकी चर्या को देख कर
जन जन ने जाना, साधु परमेष्ठी ऐसे होते हैं।
उनकी चर्या ऐसी होती हैं,
उनका तप, उनका ज्ञान, उनका त्याग सर्वोच्च हैं।
क्या ???
हमने भी स्वयं को इस योग्य बनाया हैं
कि हम भी गर्व से कह सके
कि हम विद्यासागर गुरु हमारे,
हमारे गुरु को भी गर्व हो
कि उन्होंने जन कल्याण का जो सपना देखा,
जन कल्याण के लिए जो प्रयास किये वो पूर्ण हुए ।
हमे भी अपने गुरु को गोर्बानित करना हैं
गुरु के उपदेश को विश्व से फैलाना हैं।
सोचिये क्या???
हम गुरु के नाम को गौरव को गरिमा को बनाये रखने मे समर्थ हैं
जरा ध्यान से सोचिये
क्या हम जिन कुल, जिन धर्म, विद्यागुरु के योग्य हैं?? हमारा क्या योगदान रहा हमारे कुल,जाति, समाज, गुरुओ के प्रति, हमारे गुरु के कठिन तप ध्यान साधना हमारे लिए भई उनकी सत भावना कही व्यर्थ न जाये।