आचार्य संघ से हमारा परिचय बहुत नहीं था लेकिन जब पपौरा जी में गुरुवर आए तो हमने पहली बार वहां आचार्य संघ में चौका लगाया हम लोग ललितपुर से रोज सुबह 5:00 बजे उठकर चले जाते थे 1 घंटे में पहुंच जाते
सामान्यतः गुरुवर के कक्ष में प्रवेश नहीं मिलता है किंतु एक दिन गुरुवर के कक्ष के द्वार पर कोई भी व्यक्ति नहीं था तो दोपहर के समय हम दोनों पति-पत्नी अंदर प्रवेश कर गए गुरुवार ने जब हम दोनों को देखा तो नजर उठा कर बोले
ऐसे अनुशासन तोड़ेंगे तो कैसे काम चलेगा
तब हिम्मत कर हम लोगों ने कहा कि गुरुदेव हम आपसे कुछ नियम लेने के लिए आए हैं तब हम दोनों ने वहां स्वदार संतोष व्रत ग्रहण किया गुरुवार ने सहर्ष हम लोगों को आशीर्वाद दिया और हम उनके कमरे से बाहर आए जब संघ के अन्य मुनिराजों के पास गए और उनसे चर्चा की के आज ऐसा ऐसा हुआ तब उन्होंने कहा कि तुम बहुत सौभाग्यशाली हो गुरुवार की तो डांट भी बहुत ही अमूल्य है हर किसी को गुरुवार के वचन सुनने नहीं मिलते उन्होंने तुम लोगों से इतना कहा इसलिए अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली मानो
बस गुरुवर की यही याद हमारे दिलों में अमित रहेगी महान संत आचार्य श्री गुरु के चरणों में सहस्त्र नमन
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