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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

binj

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Blog Comments posted by binj

  1. P. P. Acharyashreeji Ko Sasangh Savinay Koti Koti Namostu ! Namostu ! Namostu !


    Wud be very nice if all P. P. Acharyashriji's Pravachans after 2019 and his entire Sahitya are also uploaded...

    Wud also be extremely grateful if P. P. Acharyashri ji's Pravachans & Sahitya (as well as other Maharajshriji's) for Das Lakshan Parva  2020, Shibir's, Shastra Swadhyaay (Compilation), etc and previous years... (both Audio's-mp3's & pdf's) uploaded and kept for listening/viewing and download...


    Plz keep the noble work going...

    Once again INFINITE AABHAAR's

  2. सहीमें देखा जाए, तो “उत्तम क्षमा" या "मिच्छामी दुक्कडम” के MSGs को भेजने मात्रसे “क्षमापना” नहीं होती. जब तक हम अपने अंतर (चित्त)में से हर एक जीव के प्रति, जिस-किसी भी कारण से, जब कभी भी, जो भी सूक्ष्मातिसूक्ष्म भी अन-बन, क्लेश, विरोध, बैर, द्वेष आदि अशुभ भावों (भाव-कर्मों) को समझ और निश्चयपूर्वक DELETE करके, उत्तम क्षमाभावको DOWNLOAD नहीं करते, तब तक हमारा अपने जीवनमें प्रभु के NETWORK को पकड़ पाना अत्यंत मुश्किल (दुष्कर) है; और जब तक ऐसा ही चलता रहेगा, तब तक सद्गुणों-सत्-प्राप्ति एवं सद्गति के COVERAGE क्षेत्र से हमें बाहर (वंछित) ही रहेना पडेगा. जिनेन्द्र प्रभु की “जिनवाणी”नुसार हृदय के सच्चे, शुद्ध, निर्मल भावोंसहित मांगी-दी गयी क्षमा, ब्रह्माण्ड में सुवर्ण अक्षरों से लिखी गयी इतिहास की एक अद्भुत और अनोखी घटना होती है. जो भी भव्यात्मा संसार के हर-एक जीव के अंदर बिराजमान “भगवान-स्वरुप (शुद्धात्मा)”के पास ऐसी क्षमा की लेन-देन करता है, उसे अलौकिक ब्रह्मांडीय चेतना का अनुभव अवश्य होता है और वह अद्भुत ऊर्जावान बनता है...

     

    आपके मन-वचन-काया को मेरे मन-वचन-काया से जाने-अनजाने में, इस भव-परभव में, कभी भी, किसी भी प्रकार से, कोई भी सूक्ष्मातिसूक्ष्म भी दुःख दिया गया हो या देने में निमित्त बना हुआ हो, तो हाथ जोड़कर, आपके पैर पकडकर, हृदय के अत्यंत निर्मल भावों सहित, प्रभु की साक्षी से आपके अंदर बिराजमान “शुद्ध-भगवान-आत्मा” को नमन करके बारम्बार क्षमा याचना करते हैं...

     

    उत्तम क्षमा ! उत्तम क्षमा !! उत्तम क्षमा !!!  
    मिच्छामी दुक्कडम् ! मिच्छामी दुक्कडम् !! मिच्छामी दुक्कडम् !!!
    कृपया उदार दिल से मुझे माफ करके अनुग्रहित कीजिएगा. 

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