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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • प्रवचन सुरभि 37 - त्याग सो मोक्ष

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    मोक्ष (निर्वाण) का मतलब जीवन निर्माण है। विकास की ओर जाना, पूर्ण विकास होना ही निर्वाण है। जहाँ बन्धन का अभाव है, छोड़ने वाले को मुमुक्षु कहते है और खाने पीने की वांछा रखने वाले को बुभुक्षु कहते हैं। अधिक खाने पीने से रोग तथा मृत्यु हो जाती है। जन्म मृत्यु श्रृंखला ही है जिसे छोड़ना ठीक है। पूर्ण त्याग मोक्ष मार्ग की ओर ले जाता है।

     

    पढ़ पढ़ भए पण्डित, ज्ञान हुआ अपार।

    निज वस्तु की खबर नहीं, सब नकटी का श्रृंगार ॥

     तेल लूण लकडी,

    जिसमे आप जकड़ी

    जैसे जाल मकड़ी।

    जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुँचे कवि

    जहाँ न पहुँचे कवि वहाँ पहुँचे स्वानुभवि।

    Death keeps no calendar.

    रोग का तो प्रतीकार है, पर मौत का प्रतीकार नहीं है।


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    Death keeps no calendar.

    रोग का तो प्रतीकार है, पर मौत का प्रतीकार नहीं है।

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