गुणवत्ता वाली वस्तु को सभी पसंद करते हैं और प्राथमिकता उसे ही देते हैं परन्तु कभी-कभी विज्ञापन के प्रभाव में गुणवत्ता का अभाव हो जाता है और कम गुण वाली वस्तु से संतुष्ट होना पड़ता है। आज विज्ञापन का इतना जोर है कि समाचार पत्रों में विज्ञापन की अधिकता के कारण खबरों की गुणवत्ता कम हो जाती है। कोई भी निष्कर्ष तभी निकलता है जब हम गुणवत्ता को अच्छे से परख लेते हैं। कुशल तैराक भी बाढ़ में बह जाता है। उसी प्रकार आप लोग भी विज्ञापन की बाढ़ में बह रहे हो।
-१ सितम्बर २०१६, भोपाल