जब लचक होती है तभी झुकने का उपक्रम होता है। तूफान में भी वही टिक पाते हैं जिनकी जड़ें मजबूत होती हैं, शीर्षासन से रक्त का संचार सही होता है इसलिए झुकने के परिणाम आने चाहिए। भारत को यदि बड़ा बनना है तो विनयशीलता को कायम रखना होगा। विनय से ही हम दूसरे के लिए पाठ्यक्रम बन सकते हैं।
जो झुकने की कला सीख लेते हैं उन्हें फिर जीवन में किसी के सामने झुकने की जरूरत नहीं पड़ती है।
-१ नवम्बर २०१६, मंगलवार, भोपाल