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मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • बच्चों को अर्थ-व्यर्थ-अनर्थ-समर्थ के बारे में प्रशिक्षण जरूरी

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    मैं ऐसा चिकित्सक हूँ जो आपकी नाडी देखकर आपकी सही इलाज बता सकता हूँ। आप युवा पीढ़ी के सही चिकित्सक बनो, उसे सही प्रशिक्षण दो, उसे अच्छे-बुरे का भेद ज्ञान कराओ। युवाओं को पहले नागरिक बनाओ फिर जिम्मेदारी का बोझ कन्धों पर डाली। बौद्धिक ज्ञान के साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी जरूरी है एवं बेहतर भविष्य के लिए सर्वागीण और क्रमिक विकास होना जरूरी है। बोझ डालने के कारण वो देश के बारे में चिंतन नहीं कर पाता है। न तो भारत के अतीत का ज्ञान है, न भारत की वर्तमान दशा का ज्ञान है। आप निर्देशक तो बन जाते हो, आप उपदेशक और उद्देशक नहीं बन पाते हो। आप युवाओं को जीवन के उद्देश्यों के बारे में चिंतन करना सिखाइये, उन्हें भी चिंतन की धारा से जोड़ने का प्रयास कीजिए। अर्थ के पीछे दौड़ने से अनर्थ ही होता है बल्कि युवा को अर्थ नहीं, समर्थ होने की आवश्यकता है।

     

    अर्थ, व्यर्थ और अनर्थ के बारे में किशोर अवस्था से ही प्रशिक्षण देने की जरूरत है। धर्म का संरक्षण करना है तो बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करना प्रारम्भ कर दी।

    -२२ अक्टूबर २०१६, भोपाल 


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    रतन लाल

      

    अर्थ, व्यर्थ और अनर्थ के बारे में किशोर अवस्था से ही प्रशिक्षण देने की जरूरत है। धर्म का संरक्षण करना है तो बच्चों में संस्कार का बीजारोपण करना प्रारम्भ कर दो।

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