अपने राष्ट्र के भविष्य के निर्माता बच्चे हैं उन्हें प्रदूषित वातावरण से मुक्त कर अच्छी दिशा का बोध कराना, आप सभी का कर्तव्य है। आज डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ खिलाकर आप बच्चों के मानसिक और बौद्धिक विकास पर कुठाराघात कर रहे हैं। उनकी बुद्धि को खराब किया जा रहा है फिर स्वयं आप लोग शिकायत करते हैं कि ये बहुत क्रोधी है, बहुत झगड़ालू है, बहुत सुस्त है, पढ़ता नहीं है, इसे याद तो होता नहीं है, ये बीमार बना रहता है, ये आज्ञा नहीं मानता है आदि और फिर ये ही बच्चे आपको निगलेट करते हैं। जब तक शुद्ध और पौष्टिक आहार अपने बच्चों को देना प्रारम्भ नहीं करोगे तब तक उनकी बुद्धि का विकास रुका रहेगा। बाजार पर भरोसा छोड़ना होगा।
-६ अक्टूबर २०१६, गुरुवार, भोपाल