देश के राष्ट्रपति को देश की पशु सम्पदा का ध्यान होना चाहिए लेकिन आज नहीं है इसलिए नागरिकों अब जागो और मूक पशुओं की आवाज को राष्ट्रपति भवन तक पहुँचाओ ताकि वह भवन पशुओं की पुकार से हिल उठे और पशुओं का कत्ल होना बन्द हो जाए मांस नियति रुक जाए।
वस्तुत: आज हमको जागृत होने की जरुरत है। यह हमारा देश युगों-युगों से सत्य अहिंसा का सन्देश देता आ रहा है हम अपने इतिहास को खोलें, अपनी संस्कृति को पहिचानें उसका अध्ययन करें। भारतीय इतिहास, संस्कृति और सभ्यता पशुवध की इजाजत नहीं दे सकती 'वध' तो 'वध' है चाहे जानवर का हो या मनुष्य का इसमें अन्तर नहीं है। आओ हम सब मिलकर अपने देश से इस पशुवध को रुकवायें। पशुवध रुकवाना ही आज की अनिवार्यता है।
-१९९७, नेमावर