आज आदमी के लिए पशुओं की बलि चढ़ाई जा रही है।आदमी के लिए पशुओं का कत्ल हो रहा है, देश की उन्नति के लिए पशुओं का वध हो रहा है। खून-मांस बेचकर देश की उन्नति का स्वप्न देखना, देश की बर्बादी का लक्षण है। आदमी के पास भुजाएँ हैं फिर उन भुजाओं का सही दिशा में पुरुषार्थ क्यों नहीं किया जा रहा है? आज भुजाओं से भी पैर का काम लिया जा रहा है। भला है कि आदमी के पास सींग नहीं है अन्यथा यह आदमी क्या-क्या करता पता नहीं। दूसरों के पैर तोड़कर हम अपने पैरों पर खड़े नहीं हो सकते, मैं राष्ट्र को पंगू देखना नहीं चाहता। पशुओं के अभाव में भारत पंगू हो जायेगा, भारत कृषि प्रधान देश है यहाँ की जनता सदियों से पशुपालन और उनके माध्यम से अपना निर्वाह करती चली आ रही है कृषि उत्पादन के क्षेत्र में गौ-वंश का उपकार भुलाया नहीं जा सकता।
-१९९७, नेमावर