अच्छे कार्य के लिए धर्मादा निकालते हैं तो पुण्य का मंगलाचरण हो जाता है। पहले गौ के लिए पहली रोटी निकाली जाती थी। आज भी ये परम्परा सतत होनी चाहिए क्योंकि यही दया का भाव होता है। आज दया की भावना का नितांत अभाव होता जा रहा है इसलिए महापुरुषों का अभाव धरती पर होता जा रहा है।
-१४ सितम्बर २०१६, दोपहर ३ बजे, भोपाल