आज कितनी तेजी से जानवर कट रहे हैं यदि यही रफ्तार रही तो एक दिन सारे जानवर समाप्त हो जाएँगे और फिर नम्बर आएगा किसका? आदमी का, प्रकृति का नहीं क्योंकि प्रकृति में मांस नहीं। प्रकृति जीव तो पैदा करती है लेकिन मांस पैदा नहीं करती प्रकृति तो शुद्ध है। आज हम अपनी प्रकृति का विनाश कर रहे हैं, लोग पर्यावरण का काम बंद नहीं करते। ये कत्लखानों से सारी धरती में प्रदूषण फैल रहा है, नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है, वातावरण गन्दा हो रहा है प्रकृति का सन्तुलन बिगड़ रहा है लेकिन हमको इसकी चिन्ता नहीं है। हम तो मात्र चिल्लाना जानते हैं, पर्यावरण बचाने का काम मात्र वृक्ष लगाने से नहीं हो सकता, हम वृक्षों को लगाने की बात करते हैं और लगाते भी हैं लेकिन पशुओं को काट रहे हैं, यह प्रक्रिया हमारे लिए घातक है, इसको हमें रोकना चाहिए।
-१९९७, नेमावर