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नव आचार्य श्री समय सागर जी को करें भावंजली अर्पित ×
मेरे गुरुवर... आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज
  • हिंसा-कूरता-मारना-सताना उद्घण्डता है

       (2 reviews)

    भारतीय इतिहास और दण्ड संहिता कहती है, हिंसा को रोकने के लिए दण्डित करना चाहिए, हिंसक को समाप्त करने के लिए नहीं। दण्ड देना बुरा नहीं लेकिन क्रूरता के साथ दण्ड नहीं देना चाहिए क्योंकि यदि अपराधी को क्रूरता के साथ दण्ड देंगे तो वह शायद कभी सुधरे परन्तु उसको विवेक के साथ दण्डित किया जाये तो सुधर भी सकता है, अहिंसक भी बन सकता है और जीव रक्षा का प्रण भी ले सकता है। दण्ड का विधान ही इसलिए किया गया है कि व्यक्ति उद्दण्डता न करे, उद्दण्डता के लिए दण्ड अनिवार्य है ताकि उद्धृण्डता रुक सके। हिंसा सबसे बड़ी उद्धृण्डता है, क्रूरता के साथ धन अर्जन करना सबसे बड़ी उद्धृण्डता है, जीवों को सताना, मारना सबसे बड़ी उद्धृण्डता है, इस उद्धृण्डता को रोकना अनिवार्य है। भारत में यह आज बहुत हो रही है, दुधारू जानवरों को मार करके उनका मांस बेचना कितनी क्रूरता के साथ धन कमाने का साधन बना लिया गया है। भारत को इस क्रूरवृत्ति का त्याग करना चाहिए क्रूरता से राष्ट्र का भला नहीं, भारत को मांस निर्यात बंद करना चाहिए और दूध का निर्यात करना चाहिए, खून-मांस का नहीं।

    -१९९७, नेमावर


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    रतन लाल

       1 of 1 member found this review helpful 1 / 1 member

    क्रूरता से राष्ट्र का भला नहीं, भारत को मांस निर्यात बंद करना चाहिए और दूध का निर्यात करना चाहिए, खून-मांस का नहीं।

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    Yes crime should be stopped, krurta ke saath aur krurta dwara kiye gaye har karya ko rokna hi chahiye, yehi dharm hai yehi dharm hai 

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