याद रखो! जिस दिन दया का समापन हो जाएगा, यह धरती शमशान बन जाएगी!!! दिल में दया के रहते ही हम मिल-जुलकर कुछ कर सकते हैं, दया के अभाव में मात्र आपसी टकराव ही होगा, हिंसा ही होगी इसलिए हिंसा को रोकने के लिए दिल में दया को पैदा करना होगा, दया हिंसा को रोकती है जबकि दया की कमी हिंसा को जन्म देती है। देश में दया की कमी के कारण ही कत्लखाने खुल गए हैं, यदि हम दया की कमी को दूर कर देंगे तो देश के सारे कत्लखाने बंद हो जाएँगे और अब समय आ गया है दिल में दया को जागृत करने का। यदि हमने दया की उपेक्षा की तो यह हमारे लिए खतरनाक सिद्ध हो सकती है। आज आवश्यकता है पशुओं को बचाने की, जो बेमौत मारे जा रहे हैं। बेकसूर, निर्दोष प्राणियों की हत्या महापाप है यह महापाप हमको रोकना चाहिए। यदि हम जीव-जन्तुओं की रक्षा नहीं कर सके तो इतने बड़े राष्ट्र की रक्षा कैसे करेंगे? जीव जन्तुओं को मारना जघन्य अपराध है। पशुवध जैसे हिंसक, क्रूर कार्य करके हम अपने राष्ट्र को उन्नत नहीं बना सकते। हिंसा से उन्नति संभव नहीं है, हिंसा को छोड़े बिना राष्ट्र उन्नत हो ही नहीं सकता।
-१९९७, नेमावर