याद रखो अभिशाप सबसे बड़ा शस्त्र है। यदि इन मूक पशुओं की श्राप-बद्दुआ लगी तो यह देश तबाह हो सकता है। आज तो वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध कर दिया कि हिंसा, कत्ल की वजह से भूकम्प आते हैं। आज प्रकृति में जो घटनाएँ घट रही हैं-कहीं अकाल, कहीं भूकंप, कहीं तूफान तो कहीं बाढ़ और कहीं महामारी, ये सारे रूप हिंसक कार्य के ही हैं। हिंसा से सारी प्रकृति आन्दोलित हो जाती है, क्षुब्द हो जाती है, वातावरण उत्तेजित हो जाता है, पर्यावरण नष्ट हो जाता है। यदि हमारे देश में हिंसा, कत्ल होता रहा, कत्लखाने खुलते रहे, मांस निर्यात होता रहा तो क्या हमारा पर्यावरण सुरक्षित रह सकेगा? और जब हमारा पर्यावरण ही नष्ट हो जाएगा तब हमारी उन्नति का क्या अर्थ रह जायेगा? क्या विदेशी मुद्रा पर्यावरण को बचा लेगी? जब आदमी का ही जीना मुश्किल हो जाएगा तब दुनिया की सारी सम्पत्ति किस काम की रह जायेगी? पर्यावरण और स्वास्थ्य का ठीक रहना ही मानव जाति का विकास है, पर्यावरण को बिगाड़ करके हम अपने स्वास्थ्य को जिन्दा नहीं रख सकते, अत: पर्यावरण की रक्षा के लिए हिंसा, कत्ल के काम छोड़ने होंगे, पशुओं को बचाना होगा।
-१९९७, नेमावर