गौ का दूध आदमी के बच्चों को पुष्ट करता है, शक्ति देता है, उनको एक लम्बी उम्र देता है। जो शक्ति माँ के दूध में नहीं, वह शक्ति है गौमाता के दूध में। ऐसी शक्तिवर्धक, स्वास्थ्य की जननी गौमाता का आज वध हो रहा है, जिसका हमने दूध पिया, उसी का आज खून बेच रहे हैं। भारत के लिए यह बहुत बड़ा कलंक है।
भारत कृषि प्रधान देश है, माँस प्रधान नहीं। आज भारत में माँस का व्यापार हो रहा है, शराब का व्यापार हो रहा है, अण्डों की खेती हो रही है, यह सब भारत के लिये कलंक है। माँस, शराब, अण्डे, मछली को बेचकर यह भारत कभी भी उन्नति नहीं कर सकता क्योंकि यह सब हिंसा है। यह हिंसा का पैसा, खून का पैसा, मस्तिष्क को विकृत कर देगा और सारा पैसा दिमाग को ही ठीक करने में खर्च हो जायेगा, फिर देश की उन्नति के लिये क्या बचेगा?
राष्ट्र का विकास अहिंसा से ही हो सकता है, हिंसा से नहीं। यदि तुम भारत की उन्नति चाहते हो तो हिंसा को रोक दो, हिंसा से इस देश को मुक्त कर दो, इस देश की उम्र बढ़ जायेगी। यदि हिंसा को नहीं रोक सके तो समझ लेना देश की उम्र बहुत कम बची है। हिंसा बहुत बड़ा गुनाह है, हिंसा से बढ़कर पाप नहीं है, हिंसा सब पापों की जड़ है। जीवित पशुओं को मारकर, उनका माँस बेचकर, हम अपने देश को अहिंसा का संदेश कैसे दे सकते हैं? माँस का निर्यात करके पैसा कमाना, यह धन कमाने का साधन कतई नहीं हो सकता। भारत को खून-माँस बेचना छोड़ देना चाहिये। खून-माँस बेचकर भारत सुखी नहीं हो सकता।
-१९९७, नेमावर