किसी ने मुझसे कहा महाराज १५ अगस्त को आप कोई विशेष कार्यक्रम देगें क्या? मैंने कहा मैं तो रोज १५ अगस्त मना रहा हूँ क्योंकि आप लोगों ने आजादी का दुरुपयोग किया है, मैं तो आजादी का महोत्सव प्रतिदिन मनाता हूँ, मेरे लिए १५ अगस्त रोज है क्योंकि मैंने समझा है-आजादी का सही मायना। आजादी की स्वर्ण जयन्ती का मनाना तभी यथार्थ होगा कि हम अपने देश से हिंसा, अन्याय, अत्याचार को समाप्त कर दें और अहिंसा, न्याय, सदाचार को अपने जीवन में उतार लें। यदि हमारे जीवन में अहिंसा नहीं, सत्य नहीं, न्याय नहीं, सदाचार नहीं तो फिर हम अपने देश को सुरक्षित नहीं रख पायेंगे क्योंकि देश की रक्षा, सत्य अहिंसा न्याय सदाचार से ही होगी, अकेले राष्ट्रीय जश्न मनाने और गीत गाने से नहीं होगी।
-१९९७, नेमावर