राजा तो राजा होता है, जो कभी कर्तव्यविमुख नहीं होता,परन्तु आज राजा छोटे से संकट में भी धर्म से किनारा करने लग जाते हैं। आज इतिहास लुप्त होने के कारण हम संस्कृति को विलोपित करते जा रहे हैं। इतिहास के पुनर्जागरण की आवश्यकता है, उसे युवा शक्ति को समझने की जरूरत है। निष्ठा के अभाव में प्रतिष्ठा भी कुछ नहीं कर सकती है। नि:स्वार्थ व्यक्ति ही जीवन में प्रतिष्ठा पाने के योग्य होता है और संसार में तालियाँ भी उसी के लिए ही बजती हैं। जो आपके बारे में हित, मित और प्रिय सोचे वही सच्चा मित्र होता है और जो एक दूसरे के पूरक हों वे सच्चे दोस्त होते हैं, अगर आप सरकार और जनता एक दूसरे के पूरक बन जाएँ तो राष्ट्र-जीवन में आनंद ही आनंद हो जाए, विकास ही विकास हो जाए, देश विकसित कहलाए।
-१४ अगस्त २०१६, भोपाल