जब आप लोग परीक्षा देते हैं तो प्रश्न-पत्र में ७-८ प्रश्न रखे जाते हैं उसमें से आपको ५-६ हल करना होता है और नीचे लिखा होता है कि आठवाँ प्रश्न अनिवार्य है। जो अनिवार्य है वह तो करना ही होता है। वरना शेष का कोई महत्व नहीं होता है। इसी प्रकार हमने कहा था मतदान करना अनिवार्य कर देना चाहिए तो सुनने में मिला कि यह व्यावहारिक नहीं है। तो मैं आप लोगों से पूछना चाहता हूँ कि मतदान नहीं देना क्या व्यवहार है? पूरे सदन से कोई नहीं बोल रहा है। इसका मतलब आप समझ रहे हैं। लोकतंत्र के सिद्धान्तों के बारे में आपको सोचना होगा अन्यथा आप उत्तीर्ण हो ही नहीं सकेंगे। जब लोकतंत्र में चुनाव अनिवार्य है तो मतदान भी अनिवार्य होना चाहिए। मतदान करना पॉजिटिव है, लेकिन मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि आप हाँ में ही मतदान करें। आप निषेधात्मक भी मतदान कर सकते हैं। ये लोकतंत्र की नींव है। जब लोकतंत्र अनिवार्य है तो यह मतदान करना भी आवश्यक है। मतदान को गौण करके आप अपराध को स्वीकार कर रहे हैं या इसके पीछे क्या सत्य है; आप जानें, आपका दिल जाने।
आप लोगों को मैं कहना चाहता हूँ कि आप सावधानी से नीति का पाठ पढ़िए। तब आपको सही ज्ञान होगा कि लोकतंत्र किसे कहते हैं? मतदान के बिना लोकतंत्र एकमात्र भार है जिसे आपने उठा रखा है। उसका भीतर से आपको परिचय नहीं है। जो जो मतदान कर रहे हैं वो तो फिर भी कथचित् मतदान देकर के कम से कम लोकतंत्र को जीवित रख रहे हैं, किन्तु जिन्होंने मतदान करना बंद कर दिया है वे लोकतंत्र की दृष्टिसे ठीक नहीं माने जा सकते हैं।
-३१ जुलाई २०१६, भोपाल