आज प्राचीनता की जगह आधुनिक पद्धति अपनाई जा रही है। भाषा और संस्कृति को लोप कर दोगे तो भाव जागृत कहाँ से करोगे? आपने आधुनिकता के रंग में अपना घर बना लिया है उसे घर कैसे कहेंगे? अपने सहज परिणामों तक पहुँचने के लिए, अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने के लिए जीवन से खरपतवार को हटाना होगा। आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देना प्रारम्भ करो। आज की आहार व्यवस्था दूषित हो रही है। बच्चे का सही पोषण नहीं हो पा रहा है क्योंकि आप सजग नहीं हो खान-पान के प्रति। आप मुझसे मार्ग पूछते हो; मैं बताता हूँ, पर आप चलते नहीं हो। जब तक दया धर्म जागृत नहीं होगा और आपको चिंता नहीं होगी-हानिकारक एवं दूषित भोजन से अपनी भावी पीढ़ी को बचाने की।
आज कृषि में नए प्रयोगों से मूल कृषि को लुप्त किया जा रहा है। आज गंगा तो बह रही है, परन्तु आपने विकास के नाम पर उसे काली गंगा बना दिया है। इसी प्रकार आपकी आत्मा तो गंगा की तरह शुद्ध है, परन्तु आधुनिकता के नाम पर उसे दूषित आप बना रहे हो। आधुनिकता का लबादा उतारकर अपने प्राचीन मूल स्वरूप को पहचानो। जो वस्तुएँ स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं सबसे पहले उनसे दूरी बनाना प्रारम्भ करो, अपने बच्चों का सुरक्षित भविष्य चाहते हो तो उस पर ध्यान देना प्रारम्भ करो। उसे 'मोबाइल मेन' नहीं बनाओ, उसे अच्छा मेन बनाओ।
-२६ अक्टूबर २०१६, बुधवार, भोपाल