अतीत के अनुभव का पुट होना चाहिए तभी दोनों आँखों से काम सही लिया जा सकता है। जिस पदार्थ का वर्तमान में ज्ञान हो रहा है वो अतीत के अनुभव से ही द्रव्य, क्षेत्र, काल का निमित्त कराता है। आज जो ज्योतिष से जाना जाता है ये निमित्तज्ञान तो हो सकता है, नैमितिकज्ञान नहीं हो सकता है। "
वर्तमान के वशीभूत न होकर अपने सूत्रधार की तरफ देखोगे तभी आपके अभिनय से दर्शक प्रभावित होंगे। आपका सूत्रधार आपका अतीत है, उस अतीत को जानने के लिए आपको वर्तमान में ज्ञान की धारा के साथ विश्वास पूर्वक बहना होगा।
-१९ अक्टूबर २०१६, गुरुवार, भोपाल